के आंग दाना के बैठने पर सेठजी ने निवेदन किया कि भोजन प्रारम्भ कीजिए। पण्डितजी ने जब ढक्कन उठाया तो उस भोजन को देखकर दोनों पण्डित क्रोध से तमतमा उठे। बोले हमारे अपमान का आपमें साहस कैसे हुआ?
सेठ ने हाथ जोडकर नम्रता से कहा, " महाराज मैंने तो आप लोगों के कथन के अनुसार ही आप लोगों के सम्मुख भोजन परोसा है। आपने इनकों बैल बताया था और इन्होनें आपको गधा बताया था। सो वैसा ही भोजन मुझे मंगाना पडा। इसमें मेरा क्या दोष है। पण्डित जी मैं तो आप दोनों को ही विद्वान समझता था, इसलिए आमन्त्रित किया था किन्तु वास्तविकता का ज्ञान तो आप लोगों से ही प्राप्त हुआ है।
सेठ की बात सुनकर दोनों पण्डितजी मन-ही-मन लज्जित हुए।
शिक्षा- परस्पर ईर्ष्या का परिणाम अच्छा नहीं होता। स्वयं यदि प्रतिष्ठा प्राप्त करनी हो तो अपने योग्य साथियों को भी प्रतिष्ठित करना होगा। ईर्ष्या से जहाँ मानसिक अशान्ति रहती है, वहाँ साथ ही अपमान भी होता है। ईर्ष्या एक शीतल आग है जो मनुष्य को धीरे-धीरे जला डालती है।
8. स्वावलम्बी ही सुखी
किसी वन में एक खरगोश रहता था। हिरण बकरी और भेड़ उसके बड़े मित्र थे और उससे कहा करते थे कि जब कोई काम पडे तो देखना कि हम कितनी सहायता देंगे। आपके लिए अपने प्राण तक निछावर कर देगें। एक दिन खरगोश का पीछा शिकारी कुत्तों ने किया। तब खरगोश दौडकर बकरी के पास पहुँचा। बकरी यह दशा देखकर बोली-क्षमा करिए, इस समय मैं अपने बच्चे को दूध पिला रही हूँ" तब वह भेड के पास पहुँचा। भेड़ ने कहा कि " मैं आपकी सहायता अवश्य करती परन्तु इस समय ऊन कतरवाने के लिए अपने मालिक के पास जा रही हूँ" फिर खरगोश ने हिरण का सहारा लिया। हिरण छलांग मारकर दौडता हुआयह कहता चल दिया कि मैं भी कुत्तों से डरता हूँ। लाबार खरगोश ने अपने पावों पर भरोसा किया और दौडकर एक गहरी झाडी में छिप गया।
एच
शिक्षा- सदा अपने ऊपर भरोसा रखों स्वावलम्बी (अपने उपर भरोसा रखने वाले) की सहायता ईश्वर भी करते है। जो हिम्मत छोड़ दूसरों की सहायत ताकते हैं वे हमारी मदद करेगें, ऐसे लोग अन्त में हाथ मलते रह जाते है। इसलिए सभी मनुष्य यदि स्वावलम्बन का पाठ पढ ले, तो फिर विपत्तियों से बच जाएँ।
पंडित
9. पाठ कैसे याद करें
पाठ याद करने के लिए विद्यार्थियों को क्या विधि अपनानी चाहियें यह
न है बेट
निम्न संवाद से स्पष्ट हो जाता है-
"रु- राधे, तुमने पाठ याद कर लिया?
स्नान न
नहीं गुरुजी, आज पाठ याद नहीं हुआ।
क्या कारण?
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